
रोहतास जिले के छोटे से गांव बड्डी से निकलकर आकाश दीप ने टीम इंडिया के लिए इतिहास रच दिया। इंग्लैंड के एजबेस्टन मैदान पर दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने 4 और 6 विकेट लेकर कुल 10 विकेट हासिल किए। वह 1976 के बाद पहले भारतीय गेंदबाज बने, जिन्होंने इंग्लैंड के टॉप-5 बल्लेबाजों में से 4 को पहली पारी में पवेलियन भेजा। आप सोच रहे होंगे कि Civil Services मेंटर होकर मै आपको ये क्यों बता रहा हूँ ?
इसके पीछे मेरी सोच ये है कि, आप भी आकाश दीप से प्रेरणा लें और सब कुछ भूल कर अपने करियर पर फोकस करें।
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शहीद बाबू निशान सिंह के वंशज की मेहनत और जज्बा
आकाशदीप का परिवार भी इतिहास से जुड़ा है। वे 1857 के क्रांतिकारी शहीद बाबू निशान सिंह के वंशज हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने सासाराम में मौत के घाट उतारा था। उसी मिट्टी से उपजा यह युवा अब क्रिकेट के मैदान पर देश का नाम रोशन कर रहा है।
संघर्षों से भरा सफर: पिता की मौत, भाई की बीमारी, परिवार की जिम्मेदारी
आकाशदीप का सफर आसान नहीं था। पिता रामजी सिंह की पैरालिसिस से मौत और दो महीने बाद बड़े भाई धीरज सिंह का मलेरिया से निधन उनके लिए सबसे बड़ा सदमा था। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मां लाडूमा देवी के समर्थन से क्रिकेट के रास्ते पर बढ़ते गए।
बहन को कैंसर: आकाशदीप का समर्पण और जीत का जज़्बा
एजबेस्टन में शानदार प्रदर्शन के बाद आकाशदीप ने बताया कि उन्होंने यह जीत अपनी बहन ज्योति सिंह को समर्पित की है, जो कैंसर से लड़ रही हैं। यह परिवार का जज़्बा और संघर्ष की मिसाल है जिसने उन्हें चमकने का मौका दिया।
कोलकाता तक का सफर और टीम इंडिया तक का सफर
सासाराम से दुर्गापुर और फिर कोलकाता तक के सफर में आकाशदीप ने बंगाल की अंडर-23 टीम में अपनी पहचान बनाई। 2017-18 में 42 विकेट लेकर सबको चौंकाया। फिर रणजी ट्रॉफी और IPL में RCB के लिए खेलते हुए उन्होंने टीम इंडिया में जगह बनाई।
आकाशदीप की कहानी: जज़्बा, जुनून और क्रिकेट का जादू
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे आकाशदीप ने परिवार की जिम्मेदारी, आर्थिक तंगी और निजी दुखों के बावजूद अपने सपनों को जीवित रखा। आज उनकी कहानी न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणा है, बल्कि हर संघर्षरत युवा के लिए एक मिसाल।
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